आज बारिश की बूंदों ने जंग छेड़ रखी है

आज बुंदों ने जंग छेड़ रखी है,बिजली की कौंध,डराती है,काले घनेरें बादल,बस टूट पड़ने को आतुर है,हवाओं का रुख भी आज,बदला – बदला सा है,वाह क्या सुंदर नज़ारा है,सब कुछ छुपा लेने की होड़ है,पर ये पर्वत विशाल है,बादलों को अपने आगोश में,रखने की चाहत है,हवाओं की सरसराहट,डराने वाली है,खिड़की से बुंदों की झर- झराहटकुछ… Continue reading आज बारिश की बूंदों ने जंग छेड़ रखी है

पत्तों की जोर आजमाइश

ये जोर से चलती बयार है,सब उड़ा ले जाने को आतुर,पर चल रही है,जोर-आजमाइश इन पत्तों की,ना हार मानने की हिम्मत,ना हारेंगे.. ये जज्बात भी,ना जाने कितने बार,हवा का ये झोंका,रोकने की कोशिश करता है,पर ये इन पत्तों की साख है,जो टिका रहता है,और हार मानकर हवा,रुख मोड़ लेती है,ये सलाम है,और उम्मीद भी… कीग़र… Continue reading पत्तों की जोर आजमाइश

कहां है वो लोग…

प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा देश में सम्पूर्ण लाकडाउन की घोषणा के सात दिन खत्म होने के बाद मेरे कुछ सवाल: 1. कहां गये वो लोग जिन्हें बहुत जल्दी थी? 2. आज ही होना चाहिए, नहीं चलेगा जैसे डायलाग कहां गये? 3. Urgent, urgency, today itself, very fast, very important, commitment, failure of commitment,do it now,not acceptable,why, unhappy,need… Continue reading कहां है वो लोग…

कोरोना-वायरस और भारत

अभी पिछले महीने की बात है एक तरफ़ चीन के वुहान शहर कोरोना वायरस के संक्रमण के चपेट में था वहीं दूसरी ओर हमारे देश भारत में दुनिया का सबसे पावरफुल नेता का आगमन हो रहा था। दिन 24 फ़रवरी यानी आज से लगभग एक महीना पहले एक तरफ़ चीन में कोरोना संक्रमण से लगभग… Continue reading कोरोना-वायरस और भारत

क्यों खौफ है?

क्यों खौंफ है,सारा जहां सहमा हुआ है,कुछ अजीब सा सन्नाटा है,गला काट भागम भाग के इस दौर में,सब ठहरा सा क्यों है,क्यों खौंफ है,झरोखों से देखती हुई,ये सहमी आंखें,कुछ पूछ रही हैं,कहना चाह रही है कुछ,आखिर क्यों खौंफ है,भरी दोपहरी में सड़कों परपंछियों की चहचहाहट,ये कौन सा दौर है,सब कुछ हासिल कर लेने की वो… Continue reading क्यों खौफ है?

विश्व मित्रता दिवस

आज पूरा विश्व मित्रता दिवस मना रहा है। सुबह से तरह-तरह के मेसेज मोबाइल में घुम रहा है। कोई कृष्ण और सुदामा के मित्रता को याद कर रहा है, कोई स्कूल के दिनों के दोस्तों को याद करते हुए और सोशल मीडिया को खंगाल रहा है, तो कोई अपने सबसे बड़े कमीने को दोस्त को… Continue reading विश्व मित्रता दिवस

डिजिटल डिपेंडेंसी और डिजिटल लिटरेसी

आज फोन लेने का एक भयानक अनुभव हुआ। मैं अपने आपको एक डिजिटल साक्षर आदमी मानता हूं। अक्सर जितना हो सके डिजिटल मीडियम ही प्रयोग करता हूं। फिर भी आज का अनुभव बहुत कुछ सीखा गया। सुबह एक नामी मोबाइल शाप पर गया और दुकानदार से जियो मोबाइल दिखाने का आग्रह किया। मेरी जरूरत सिर्फ… Continue reading डिजिटल डिपेंडेंसी और डिजिटल लिटरेसी

ये कहां जा रहे हैं हम?

ये कैसी दौड़ है, जहां सिर्फ भाग रहे हैं सब, क्या पाना है, क्यों पाना है, क्या जाना है सब? ये अंध दौड़, कहां ले जाएगी, क्या किसी ने सोचा है? बस भाग रहे- बस भाग रहे, भागम भाग मचा रहे, एक बार ठहर जा, थोड़ा रुक कर, पुछ ना इंसान खुद से, कितने तो… Continue reading ये कहां जा रहे हैं हम?